Navratri Ghatsthapana Muhurt 2023: शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना का विधान, शुभ मुहूर्त और नियम।

Navratri Ghatsthapana Muhurt 2023: शारदीय नवरात्रि आज से आरंभ होने जा रही है। आज के दिन ही कलश स्थापना या घट स्थापना (Ghatsthapana Muhurt 2023) का विधि विधान किया जाता है।

Navratri Ghatsthapana Muhurt 2023: शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना का विधान, शुभ मुहूर्त और नियम।
शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना का विधि-विधान, शुभ मुहूर्त और नियम...

Navratri Ghatsthapana Muhurt 2023: शारदीय नवरात्रि आज से आरंभ होने जा रही है। आज के दिन ही कलश स्थापना या घट स्थापना (Ghatsthapana Muhurt 2023) का विधि विधान किया जाता है। ऐसे में शुभ मूहूर्त पर माँ दुर्गा की कलश स्थापना करने से साधक पर माता की आशीष कृपा के साथ सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है। तो आइए जानते है शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना या घट स्थापना का विधान, शुभ मुहूर्त और नियम।

कलश स्थापना शुभ मुहूर्त (Ghatsthapana shubh Muhurt 2023)

शारदीय नवरात्रि की शुरुआत आज 15 अक्टूबर रविवार के दिन से हुई है इस दिन माँ दुर्गा के घट स्थापना का शुभ मुहूर्त प्रातः 06 बजकर 21 मिनट शुरू हुआ है जो सुबह 10 बजकर 12 मिनट तक रहेगा वहीं, घट स्थापना का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 44 मिनट से शुरू हुआ है जो 12:30 मिनट तक रहने वाला है।

कलश स्थापना का नियम (Ghatsthapana niyam 2023)

घट स्थापना शुभ मुहूर्त में विधि-विधान के साथ किया जात है तो इसे अत्यंत ही शुभ माना जाता है  शुभ मुहूर्त  घट स्थापना होंने से कलश साधक के परिवार में सुख, संपन्नता और आरोग्य की प्राप्ति होती है।  घट स्थापना के लिए साधक घट मिट्टी, सोना, चांदी या फिर तांबे के कलश का प्रयोग कर सकता हैं, लेकिन ध्यान रहे साधक काभी भी भूल कर इनके स्थान पर लोहे या स्टील के कलश का उपयोग न करे कलश साधक के शुभ नहीं माना जाता है। 

कलश स्थापना के पहले करे ये काम 

साधक को घट स्थापना करने से पहले जहा कलश स्थापना करने है उसे गंगा जल से शुद्ध कर लें। इसके बाद हल्दी से अष्टदल को बनाए। इसके बाद कलस में शुद्ध जल को लेकर उसमें हल्दी, अक्षत, लौंग, एक सिक्का, इलायची, पान और फूल को डाले। इसके बाद कलश में स्वास्तिक का निशान बनाए अब कलश को माँ देवी की आराधना के साथ स्थापित करें। 

कलश स्थापना की दिशा (Ghatsthapana disha)

कलश की स्थापना करते समय साधक को कलश स्थापना की दिशा को ध्यान रखना जरूर होता है। हमेशा कलश को घर में पूर्व या उत्तर दिशा में विराजित किया जाता है क्योंकि वस्तु शस्त्रों के मुताबिक घर की  पूर्व या उत्तर दिशा को शुभ माना जाता है। 

ये भी पढ़ें :- 

Disclaimer: यह जानकारी सिर्फ मान्यताओं पर आधारित है। MP NEWS HINDI किसी भी तरह की मान्यता एवं दी गई जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। दी गई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञों से सलाह आवश्यक लें।