अपनी मौत के बाद भी चार को 'नई जिंदगी'दे गया सत्येंद्र यादव

जबलपुर के रहने वाले 31 वर्षीय सत्येंद्र कुमार यादव ने अपनी मौत के बाद भी इंसानियत की एक मिसाल कायम कर दी। जिसने सभी का दिल जीत लिया,

अपनी मौत के बाद भी चार को 'नई जिंदगी'दे गया सत्येंद्र यादव
जबलपुर का सत्येंद्र यादव

जबलपुर के रहने वाले 31 वर्षीय सत्येंद्र कुमार यादव ने अपनी मौत के बाद भी इंसानियत की एक मिसाल कायम कर दी। जिसने सभी का दिल जीत लिया, दरअसल एक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल होने के बाद सत्येंद्र कुमार यादव के ब्रेन ने काम करना बंद कर दिया था। डॉक्टरों ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया। इस मुश्किल घड़ी में भी सत्येंद्र के परिवार ने एक बड़ा और सराहनीय फैसला लिया — वो था अंगदान का।

सत्येंद्र एक गैस एजेंसी में काम करता और अपना साधारण जीवन जीता था, लेकिन एक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल होने के बाद सत्येंद्र के ब्रेन डेड हो गया। लेकिन इस मुश्किल घड़ी में सत्येंद्र के परिवार ने एक ऐसा फैसला लिया जिससे सत्येंद्र हमेशा के लिए अमर हो गया। परिवार का यह फैसला असाधारण नहीं था। परिजनों ने न सिर्फ एकजुटता दिखाई, बल्कि इसे “अमित” सत्येंद्र को दूसरों में जीवित देखने का माध्यम भी बताया।

"सत्येंद्र अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन हम चाहते थे कि उसका कुछ हिस्सा दूसरों के जीवन को रोशन करे। यही सोचकर हमने अंगदान का निर्णय लिया।"

इस महान कार्य को अंजाम तक पहुँचाने के लिए प्रशासन और मेडिकल टीम ने तत्परता दिखाई। गुरुवार को जबलपुर में दो बार ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए।

पहला ग्रीन कॉरिडोर डुमना एयरपोर्ट से विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम को मेडिकल कॉलेज तक लाने के लिए तो वही दूसरा मेडिकल कॉलेज से अंगों को भोपाल और अहमदाबाद भेजने के लिए बनाया गया।

मेडिकल कॉलेज के डीन के अनुसार: सत्येंद्र का लिवर भोपाल के सिद्धांत सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल और दिल यानि हार्ट को अहमदाबाद के CIMS अस्पताल भेजा गया। जबकि वही दोनों किडनियां स्थानीय मरीजों को ट्रांसप्लांट करने के लिए रखी गई ।

यह घटना एक बार फिर हमें याद दिलाती है कि अंगदान सिर्फ एक निर्णय नहीं, बल्कि जीवनदान होता है। सत्येंद्र यादव आज इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी वजह से चार ज़िंदगियों में नई रोशनी फैल चुकी है।