अजब एमपी की गजब राजनीति, एक भाई कांग्रेस से MLA तो दूसरे भाई को BJP ने बनाया केंडिडेट

एमपी बड़वारा विधानसभा में में हो रही गजब की राजनीति, एक भाई कांग्रेस से MLA तो दूसरे भाई को BJP ने बनाया केंडिडेट

अजब एमपी की गजब राजनीति, एक भाई कांग्रेस से MLA तो दूसरे भाई को BJP ने बनाया केंडिडेट
  •  विधानसभा क्षेत्र बड़वारा- 91 के भाजपा उम्मीदवार को लेकर अंतर्विरोध
  •  कटनी जिले की चारों सीटों पर सत्तापक्ष के समक्ष कठिन चुनौती

कटनी। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव को अब ज्यादा समय शेष नहीं रह गया है। नवंबर में संभावित विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा वह तमाम प्रयास कर रही है, जो उसकी जीत के लिए जरूरी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रायः हर जिले में अपनी यात्रा सुनिश्चित करने में जुटे हैं। इसके साथ ही बीजेपी का केन्द्रीय नेतृत्व अपनी पूरी ताकत एमपी को जीतने के लिए झोंके हुए है। यही वजह है कि टिकट वितरण में बीजेपी ठोंक बजाकर प्रत्याशी घोषित करने की रणनीति के साथ आगे कदम बढ़ा रही है। इस सबके बावजूद पार्टी के हाल ही में घोषित 39 प्रत्याशियों में से लगभग 13 प्रत्याशियों की घोषणा से क्षेत्रीयजन खुश नहीं हैं। खास बात यह है कि जिन कार्यकर्ताओं की दमपर बीजेपी चुनाव जीतने की जुगत में है वे ही प्रत्याशी चयन को लेकर नाराज दिखाई दे रहे हैं। कटनी की चार विधानसभा सीटों में से अभी बीजेपी ने सिर्फ बड़वारा विधानसभा क्षेत्र क्रमांक -91 से ही अपना केंडिडेट घोषित किया है जिसे लेकर विरोध जताया जा रहा है। विरोध का एक नया कारण सामने आया है। बताया जा रहा है कि बड़वारा क्षेत्र से मौजूदा कांग्रेस विधायक राघवेन्द्र सिंह के भाई धीरेन्द्र सिंह को बीजेपी ने प्रत्याशी बनाया है। जिनकी पार्टी के प्रति निष्ठा को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। कांग्रेस के मौजूदा विधायक राघवेन्द्र सिंह वही विधायक हैं जिनका नाम दो वर्ष पहले भाजपा में जाने के लिए चर्चाओं में आया था। यानी मौजूदा विधायक का परिवार क्षेत्र में विश्वास योग्य नहीं है। ऐसे में बीजेपी के प्रत्याशी बनाए गए धीरेन्द्र सिंह की निष्ठा पर भी सवालिया निशान उठाए जा रहे हैं।

जीतने के बाद पाला बदल सकते हैं धीरेन्द्र सिंह 

बताया जा रहा है कि कटनी जिले की चारों विधानसभा सीटों में वैसे भी बीजेपी के विरोध में बयार बह रही है,ऐसे में बड़वारा सीट को कांग्रेस के हाथों से छीनने के लिए बीजेपी को किसी विश्वसनीय तथा पार्टी के प्रति वफादार कार्यकर्ता को टिकट दिया जाना जरूरी है। समझा जाता है कि यदि धीरेन्द्र सिंह को नहीं बदला गया तो अव्वल तो वे चुनाव हार सकते हैं और दूसरी ओर वे चुनाव जीत भी जाते हैं तथा कांग्रेस की सरकार बनने की स्थिति बनेगी तो धीरेन्द्र सिंह पाला बदलने में समय नहीं गवाएंगे। क्षेत्रीय लोगों का मानना है कि धीरेन्द्र सिंह किसी न किसी तरह सत्तापक्ष के साथ और निजी फायदे की सोच रखने वालों में से हैं, जिन्हें बीजेपी से अधिक अपना फायदा अधिक महत्वपूर्ण लगता है।

तो फिर कौन हो सकता है वैकल्पिक प्रत्याशी 

संभावना इस बात की अधिक बन रही है कि बड़वारा सीट से किसी महिला कार्यकर्ता को धीरेन्द्र सिंह के स्थान पर टिकट दी जा सकती है। ऐसे में पूर्व जिला पंचायत सदस्य एवं क्षेत्र के सहलावन पिपरिया निवासी सुधा सिंह ठाकुर का नाम विकल्प के तौरपर घोषित किए जाने की अधिक संभावना है। सुधा सिंह पिछले दो चुनावों से बीजेपी की टिकट के लिए प्रयासरत हैं। उन्हें पूर्व विधायक और पूर्व क्षेत्रीय विधायक मोती कश्यप का भी समर्थन हासिल हो सकता है। मोती कश्यप इस क्षेत्र से प्रबल दावेदार थे, जिन्हें टिकट से वंचित कर दिया गया है। लिहाजा सुधा सिंह ठाकुर को प्रत्याशी बनाए जाने की सूरत में कश्यप अपने हजारों कार्यकर्ताओं के साथ समर्थन दे सकते हैं।